Thursday, July 23, 2009
"मै एक छोटी सी लड़की हूँ"
मै एक छोटी सी लड़की हूँ
सुबह की पहली किरण सी उजली हूँ
छा जाउंगी नभ पर,यही ख्वाब बुनती मै पली हूँ
मै एक छोटी सी लड़की हूँ
यूं तो अकेले ही अपनी मंजिल की और बढ़ी हूँ
पर कुछ सपने और जोड़ लिए हैं खुद से
और सबको साथ लेके चल पड़ी हूँ
मै एक छोटी सी लड़की हूँ
निश्चय बहुत ही द्रिड़ है मेरा, तूफानों में ढली हूँ
पसंद है मुझे लड़ना और जीत जाना,
पर दिल की बहुत भली हूँ
जानती हूँ मुझ जितने भले नहीं लोग,
जरा सी इसी बात से डरी हूँ
मैं एक छोटी सी लड़की हूँ
नाजुक हूँ स्वर्ण सी, आग में तप कर ही निखरी हूँ
जीत लूंगी सारा गगन इसी संकल्प के साथ मैदान में उतरी हूँ
मैं एक छोटी सी लड़की हूँ
आँखों में सपने जरुर है, पर हकीक़त के धरातल पे मै चली हूँ
अटल है मेरे इरादे बलबूते जिनके मै इस राह निकली हूँ
मैं एक छोटी सी लड़की हूँ
भर दूंगी जीवन हवाओं मे, प्रेम की स्वरलहरी हूँ
सरल हूँ प्रकृति मे जितनी, मन की बहुत गहरी हूँ
मंजिल बहुत दूर है अभी, मैं कब कही ठहरी हूँ
मै एक छोटी सी लड़की हूँ
परिचित हूँ अपनी शक्ति से, हौसलों से भरी हूँ
न केवल अपने लिए बल्कि सबके हक के लिए खड़ी हूँ
मै एक छोटी सी लड़की हूँ
उम्मीदे लगी है, मुझसे मेरे अपनों की,
उत्साह पाकर जिनसे मै डटी हूँ
अब हटूंगी नहीं पीछे,
दिखा दूंगी, मैं बड़ी हठी हूँ
मै एक छोटी सी लड़की हूँ
पर्वत सा विशाल पापा का विश्वास है,
मै उनके सपनो की रौशनी हूँ
कितनी काबिल हूँ दिखला दूंगी,
माँ के चमन में जो खिली हूँ
मै एक छोटी सी लड़की हूँ
हाँ, मै एक छोटी सी लड़की हूँ,
पर डैने फैलाये अपने, उडान को तैयार खड़ी हूँ
समेट लूँगी आसमान मुट्ठी में,
हाँ मैं आसमान से बड़ी हूँ
मै एक छोटी सी लड़की हूँ
save the girl child !
ज़रूर बताईये अपनी प्रतिक्रिया आपकी अपनी नन्ही लेखिका रश्मि की इस कविता पर...
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