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Saturday, October 16, 2010

बस एक बात कहनी थी…

आगे बढ़ने से पहले आप ये पढ़ आइये…सारे कमेन्ट्स भी पढ़ियेगा ध्यान से और एक कमेंट पर अटक जाइयेगा…

http://indiascifiarvind.blogspot.com/2010/09/blog-post.html

जिसमे आपको ये 'सुन्दर' कथन मिले…

"इस कथा से स्त्री-जाति को अवश्य ही प्रेरणा मिलोगी!"

बड़े लोगों कि बातों में पड़ने के लिये बहुत बहुत क्षमाप्रार्थी हूँ…

क्या आपको इतनी बढ़िया कहानी पर ये स्टेटमेन्ट तमाचे सा नहीं प्रतीत होता ?

अरे भई! अब प्रेरणा भी नारियाँ ही लें ? क्यों जी?  सभी जागरुक स्त्रियाँ क्या समाज को आग ही लगा देना चाहती हैं ? समाज की भलाई की सोचते हुए ही हमारी नायिका ज़रीना ने ये कठोर निर्णय लिया है… एक स्त्री के सिवा हो सकता है कोई इतना मज़बूत ?

निसन्देह प्रेरणा तो लेनी ही है… प्रेरणास्पद कहानी ही है... पर सभी को लेनी है…

… उपरोक्त कमेन्ट से ऐसी बू आती है जैसे स्त्रियों को ही सारी प्रेरणा लेने की बेहद ज़रूरत आन पड़ी है…

सभी जागरुक स्त्रियाँ क्या समाज को आग ही लगा देना चाहती हैं ? पर लगता है आग लगाये बिना समाज ने सुधरना भी नहीं है!

मैं तो सोच रही थी कि एक बार स्त्री-less समाज का सामना कर ही लेते हम!  ज़रीना जी ने नाहक ही इतने insensitive लोगों की परवाह की जी! पर हमने उनके विचारों से ये जाना कि लड़कियाँ कम होंगी तो बजाय सम्मान मिलने के… तब भी उन्हीं को सारा संकट होगा…! हाय री किस्मत !


:)


गुड लक !

~No offensive intentions towards anyone~

just towards a wrong thought...

sorry !

*Heartiest congratulations to Zakir Sir for this GREAT award winning sci fi story... :)*

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