आजकल मेरे दिन कुछ ऐसे ही गुज़र रहे हैं। आधा दिन कॉलेज में लेक्चर्स अटेण्ड करते, मस्ती मारते और आधा दिन कभी कॉलेज के प्रोजेक्ट्स बनाते तो कभी टीवी, मोबाइल, कम्प्यूटर, किताबों से दिल बहलाते, छत पर टहलते गुज़र जाता है।
तारीखें महज़ अकों की तरह बदलती जाती हैं और एक दिन तारीख पर तारीख के नज़रिये से नज़र जाती है तो लगता है कि 'अरे, कितना सारा समय गुज़र गया!' हालाकिं ऐसा कभी नहीं महसूस होता कि इतने समय में मैनें कुछ नहीं किया बल्कि लगता है कि इतना सारा कुछ हो भी गया और कुछ पता भी नहीं चला!
शुक्रिया सर बी. एस. पाबला जी का जिन्होने कल मुझे याद दिलाया कि अपने ब्लॉग पर आखिरी पोस्ट डाले मुझे एक साल होने को आया है।
इस एक साल में सचमुच बहुत कुछ हो गया। मेरा MBA का पहला साल हो गया और जुलाई में मैंने Phd Entrance Test (Zoology) दिया जिसमें सलेक्शन भी हो गया।
MBA करने का निर्णय एक बढ़िया निर्णय साबित हुआ। मैंने अनुभव किया कि एक रेस में शामिल होना कैसा लगता है। कॉरपरेट जगत कुछ ऐसा ही है। मैंने इस दौरान काफ़ी कुछ नया सीखा जो बहुत जरुरी था। क्योंकि ये फ़ैसला करने के लिये कि आप किसी चीज़ को पसन्द करते हैं या नहीं, उसे समझना बेहद ज़रुरी हो जाता है। और इस तरह मैंनें पाया कि बिज़नस इतनी भी बुरी चीज़ नहीं है परन्तु साइंस अब भी सबसे बेहतरीन स्ट्रीम है… :) फ़िर मैनेज्मेन्ट की जरुरत तो हर जगह पड़ती है और पर्सनैलिटी डेवलपमेन्ट का भी बढ़िया तरीका है MBA । मैंनें प्रज़ेन्टेशन्स देना सीखा (मैं अपनी क्लास में सबसे अच्छी प्रज़ेन्टेशन देती हूँ ) और सबसे अच्छी बात, मैं इस सेमेस्टर "लीडरशिप" भी पढ़ने वाली हूँ जो मैं हमेशा से पढ़ना चाहती थी।
मैं अब जल्दी से तीसरा और चौथा सेमेस्टर पूरा कर लेना चाहती हूँ ताकि जल्दी से पीएचडी शुरु कर सकूँ और खूबसूरत सी ज़ूलॉजी की दुनिया में लौट जाँऊ। हालाँकि अब मैं MBA की दुनिया को भी बहुत मिस करुँगी और MBA वाले दोस्तों को और अपने टीचर्स को भी… :)
खैर, अब थोड़ी ही देर बाद मेरा बर्थडे आने वाला है… Really years are short... फ़िर से बर्थडे आ गया… कितना कुछ करना है अभी तो !! अब अट्ठारह की होने वाली हूँ, हॉरिबल एक्सपीरिएन्स, क्योंकि अब मुझसे उम्मीदें बढ़ गयीं हैं… अनुभव जुड़ते जा रहे हैं और मुझे बढ़ते जाना है… :)
Miss you blogging...