'प्रतिभा'
वह शांत थी अनजान थी
और उससे भी अधिक गुमनाम थी
घनघोर अँधेरे में रोशनी का एक कतरा गया
उसे जगाया गया, सहलाया गया
पर संकोच की परतों में वह, ढंकी रही, छिपी रही
पहचान तो गयी खुद को, पर सबकी नजरों से बची रही
ठहर ठहर के उसे ललकारा और उभारा गया
आ दिखा जौहर अपना, कहकर उसे पुकारा गया
मान अटल इस पुकार को, कठिन साधना से निखरी
ओजस्वी उसका आत्मबल, किरणें जिसकी बिखरी
आखिर जम कर चमकी गगन में, नजरो में उसकी कौंध चुभी
वो तो नहाई रोशनी में, औरों को उसकी चकाचौंध चुभी
लेकर आड़ खुबसूरत परन्तु खोखली बातों की, दुहाई दी, फुसलाया और डराया भी
बनी रही जब हठी तनिक वह, ज़रा उसे बहलाया भी
चकित हुई दोहरे बर्ताव से, हताश हुई, दुःख की हुँकार उठी
चख लिया था स्वाद उसने स्वतंत्रता का, कुचले जाने पर फुंफकार उठी
अंत किया इस द्वंद का, की सिंहनी सी गर्जना
जन्म लिया विद्रोह ने, तोड़ दी ये वर्जना
बीत गयी रात अन्धकार की, ये सुनहरी प्रभा है
ना छिप सकेगी, न दबेगी, ये अदम्य प्रतिभा है...!
... और ये चोरनी मैंने 9 अगस्त को बनाई थी... कैसी है ?
Thanks a lot in advance ! The all appreciation I m getting here, I m just loving it...
keep smiling you all awesome ppl !
:)
आपकी कविता मुझे बहुत पसंद आई...यही जोश बनाये रखें
ReplyDeleteबहुत sundar कविता है आपकी............. josh से bhari........... ऐसे ही likhti raho
ReplyDeleteसच! चुरा लिया हमारा दिल भी...बहुत सुन्दर कविता...बहुत बढ़िया ..!!
ReplyDeletetum bas ek karishma ho....
ReplyDeleteबहुत खूब! बहुत सुन्दर स्केच बनाया है। कविता भी अच्छी है। खूब लिखती रहो। रश्मिप्रभाजी सही कहती हैं-तुम बस एक करिश्मा हो!
ReplyDeleteबहुत अच्छा कार्य कर रही हो आशा करता हूँ कि तुम्हारे आने से, यहाँ (ब्लाग जगत ) कुछ नया मिलेगा !
ReplyDeleteशुभकामनायें बच्चे !
ओ चोरनी,
ReplyDeleteअपनी तस्वीर तो बहुत सुंदर बनाई है, साथ ही एक बात और कहनी है........म्म्म्म्म लिखा भी अच्छा है :)
सुंदर रचना.... वाह.. चोरनी भी अच्छी है..
ReplyDeletekya baat hai,
ReplyDeletebahut achchhi kavitahai or chitr bhi bahut achchhe hai
khas karke ruthi hui khopadi wala
aasha hai aap apne saare sapne jarur pure karengi
mai bahut prabhavit hua aapki life,aapki pratibha or aapki lekhni se
best og luck
BHUT HI ACHHI KAVITA LIKHI HAI AAP NE
ReplyDeleteYUN HI LIKHTI RAHE
SAADAR
PRAVEEN PATHIK
Hii Rashmi, You are really a nice Poetess & a Great Personality. I personally like reading Ur poems & writings.
ReplyDeletekeep writing like this & be better day by day
With lots of wishes
Rishish
आखिर जम कर चमकी गगन में, नजरो में उसकी कौंध चुभी
ReplyDeleteवो तो नहाई रोशनी में, औरों को उसकी चकाचौंध चुभी
लेकर आड़ खुबसूरत परन्तु खोखली बातों की, दुहाई दी, फुसलाया और डराया भी
वाह.....
प्रिय रश्मि बिटिया
आप की कविता के अलावा आपका पूरा ब्लाग देखा,इतनी प्रतिभावान हो,यह जानकर आश्चर्य के साथ अति सुखानभूति भी हुई,जिस देश मे
ऎसी प्रतिभायें हो,उसका भविश्य तो स्वर्णिम होगा ही.मेरी बहुत बहुत
शुभकामनायें
वाह भाई
ReplyDeleteआपके बारे में जानकर बहुत खुशी हुई
अच्छी कविता
खूब पढिये और सफल होईये
शुभकामनायें
रश्मि
ReplyDeleteबहुत खूब बधाई
रश्मि,
ReplyDeleteमतलब नन्हीं लेखिका जी,
पहले बताइए, यह कविता किसकी लिखी हुई है?
नाराज़ होने की बात नहीं है, अगर किसी और की है तो उसका नाम देना चाहिए।
प्रतिभा रूचि के क्षेत्रों में किए गए प्रयासों, साधना से ही पैदा होती है।
और अगर तुम्हारी है तो इससे बढ़िया तारीफ़ क्या हो सकती है।
कि यह किसी परिपक्व लेखक की सी लगती है।
@समय : नहीं सर, नाराज होने की तो बात ही नहीं हैं, छोटी छोटी बातों को दिल से लगाने का काम तो कमज़ोर स्वाभिमान वाले लोग करते है. (और आप लोगों से नाराज़ होने की बिसात है क्या मेरी !... अविनाश वाचस्पति जी कहिन "लेखक पारिश्रमिक में कमी बर्दाश्त कर सकता है पर पाठको में नहीं..." )
ReplyDeleteबल्कि आपका ये संशय साफ़ ज़ाहिर करता है कि मेरी कविता आप जैसे बड़े बड़े लेखको के बड़े बड़े लेखों के बीच पहचान कायम करने में सफल हो गयी है, धन्यवाद.
लेकिन सर, ये कविता मैंने ही लिखी है और ये स्केच भी मैंने ही बनाया है... मेरे पापा के शब्दों में ... 'इतना बड़ा लांछन मत लगाइए !' (जब मैंने आपकी टिप्पणी उन्हें दिखाई तो उन्होंने कहा, हाहा !) और मेरी मम्मी के लफ्जों में 'ये तो बचपन से ही परिपक्व है!' :))
आपकी टिप्पणियां सदा मेरा उत्साहवर्धन करती हैं.
सभी इसी तरह मुझ पर आशीष और विश्वास बनाये रखे, मै हर बार आपकी उम्मीदों से अधिक कर दिखाउंगी और सदा आपको अचंभित करती रहूंगी.
सादर.
रश्मि.
अब लगा।
ReplyDelete‘चख लिया था स्वाद उसने स्वतंत्रता का, कुचले जाने पर फुंफकार उठी’
..कि ये पांक्तियां तुम्हारी ही लिखी हुई है।
समय इस कविता पर तुमसे बात करना चाहता था।
सोचा कुछ कहने से पहले सुनिश्चित हो लूं।
कहूंगा फिर कभी।
A Great Start of a beautiful journey!
ReplyDeleteBahoot Aage Jaaogi....
Keep it up Rashmi!
नन्हीं लेखिका,
ReplyDeleteतुम्हारा स्केच और उसकी अभिव्यक्ति पूर्णतया स्वाभाविक है.
thanx dear but remember me as a poetess not as an artist only. tumhari pratibha acchi lagi aur CHORNI bhi. God bless u.
ReplyDeletehi
ReplyDeletekeep it up
and go ahead.......
a bright future waiting for u
take care your self
&
be happy forever
:-)
nanhi nahi bahut badi lekhika hain aap
ReplyDeletehar rachna bahut sundar hai . tasveet bahut pasand ayee ,
Anaam
आपके बारे में जानकार थोडा आश्चर्य भी हुआ -- काफी उम्दा लिखती हैं आप. मीराबाई भी लगभग आप ही की उम्र में भक्ति और काव्य को समर्पित हुईं. भक्ति में समर्पित थीं तो उनमें दर्शन की गहराई स्वाभाविक झलकती है. आपमें अलबेलापन भी है जो अपनेआप समय के साथ साथ निखरता रहेगा. काव्य, दर्शन और अलबेलेपन में सही तारतम्य बनायें रखें तो आप भी एक दिन साकेत, कामायनी जैसी रचनाएँ कर सकेंगी. आपके उज्जवल भविष्य के लिए हमारी शुभकामनाएं.
ReplyDeleteबीत गयी रात अन्धकार की, ये सुनहरी प्रभा है
ReplyDeleteना छिप सकेगी, न दबेगी, ये अदम्य प्रतिभा है...!sach nanhi....ye panktiyaan tumhin par to laagoo hain.....sacchhi...mucchhi......!!!
abhi shuruaat hai bahut door jaana hai.
ReplyDeleteमुझे बहुत पसंद आई आपकी कविता
ReplyDeleteसुंदर रचना...... सुंदर चोरनी
बधाई
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Happy Birth Day RASHMI
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क्रियेटिव मंच
Janm Din Mubarak Ho
ReplyDeleteapki har kavita or painting bahut hi badhia hai , jiski jitni bhi tarif ki jaye kam hai.
ReplyDeletesach kahu to tarif karne ke liye sabd hi nhi hai , likhna hota hai so likh raha hu but ye sab likh kar kahi na kahi esa mehsus hota hai ki mano kahi ye sab likhte hue kisi baat ki avehlna to nhi ho rahi ya kisi or ki tarif karna to nhi buhl gaye.
bura na man na gar apko mujhe kuch likhna ho to pls aap mujhe mail kar diya kare , qki mere pas online hone ka waqt bahut kam hota hai or jab hota hai to apni mail or msg ke jawab dene me hi waqt nikal jata hai.
ReplyDeleteaap jesi pyari or sunder viktitv wali ladki ka likha hu har sabd main padhna chhta hu.
meri id hai gargbrother2006@gmail.com
mera contect no hai 09810613720
inko esi jagha note kar le jaha aapko duhndne me cast na ho.
kabhi delhi aan ho ya koi kaam ho to be hichak mujhe call kar shkti hai, 24 hr. mera cell on rehta hai.
or aap humara nimantran savikar karte hue apni family ke sath kabhi delhi aaye or humara atithya savikar kare.
koi buhl ho gi ho to kirpiya chma kare.
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