“अखबार में कुछ बुरा”
हाँ, कुछ ही, क्योंकि दुनिया में तो हो रहा है और भी बुरा
पर उसे तो लगता है यही बहुत बुरा
नहीं सोच पाती वह, क्या हो सकता है इससे भी बुरा
नहीं समझ पाती वह, जिन पर गुज़रता है यह सब
क्या बीतती होगी उन पर भला
खिन्न सा हो गया मन, जाने किससे है उसे गिला
अखबार के आखिरी पन्ने पर छपे
इन छोटे मोटे हादसों को
मनुष्य को मनुष्यता से दूर करती
इन दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को
ज़रा सी लालच, हवस, मूर्खताभरी नफ़रत
और द्वेष से जन्मे इन अपराधों को
गलती से पढ़ लेती है जब वह
मानव की आसुरी प्रवृत्तियों की पराकाष्ठाओं को
हाँ, गलती से ही तो पढ़ लेती है वह
क्योंकि नहीं चाहती उन्हें पढ़ना
बड़ा ही दर्दनाक होता है ना
सच्चाइयों से रुबरु होना
पर जानती है वह, बन्द कर लेने से आँखें
हकीकत बदल नहीं जाती
और उनका क्या जो नहीं कर सकते अनदेखा
जिन पर होती है ये ज़्यादती
बहुत खुश और महफ़ूज़ है वह
बड़ी खूबसूरत है उसकी दुनिया
खुले पंख उसके
और आंखों में आसमान नया
पर कसैला सा हो गया है मन
जब से पढ़ लिया है कुछ बुरा, उसने अखबार में
देश दुनिया की तरक्की की बातों से भरे
उस अखबार में
आज फ़िर नहीं लग रहा मन उसका
प्रगति की बातों में
नहीं लग रहा है उसका मन
प्रेम की बातों में
सौंदर्य की बातों में
मन तो अजीब सा हो गया था
तड़प रहा था हृदय और ये चाह रहा था
कि जितना आसान है
अखबार के आखिरी पन्ने को जला देना
काश जला सकती फ़ाड़ के, इस भयानक पन्ने को
अपने देश की किस्मत की किताब से
मिटा देती खौफ़,
बेबस बुजुर्गों, सहमे बच्चों
और डरी हुई औरतों के नसीब से
नहीं लग रहा है मन उसका
पढ़ लिया है कुछ बुरा उसने,
अखबार में जब से…
दरअसल पिछ्ली पोस्ट के बाद तो मेरी सेहत का अलार्म बज गया था… कैसे ? अरे ये तो आप मेरे
वो क्या है कि कुदरत को खालीपन पसन्द नहीं और मुझे बर्दाश्त नहीं… मतलब ये कि जब मैं व्यस्त नहीं होती तो अस्त व्यस्त हो जाती हूँ । और फ़िर मेरी सेह्त का अलार्म मुझे कह जाता है कि “लापरवाह लड़की ! वक़्त पर खाया कर और वक़्त पर सोया कर…!”
“अच्छा ठीक है…” मैं अपने आलसी अन्दाज़ में कह्ती हूँ और दो चार दिन में फ़िर अपनी गाड़ी चलने लगती है।
आजकल तो मैं योग करती हूँ और स्वस्थ हूँ, मस्त हूँ और व्यस्त हूँ ।
एक तो एमएससी का रिज़ल्ट आने में इतनी देर हो गयी थी… दूसरा पीएचडी के एडमिशन्स हैं कि शुरु ही नहीं हो रहे हैं। अब तक किसी तरह टाइमपास किया… ब्लोग बनाया, स्केच बनाये… 6 सितम्बर को इन्जिनियर्स सप्ताह के शुभारम्भ पर सीनियर रेलवे इन्स्टीट्यूट में “Responsibilities of youth towards country” विषय पर स्पीच दिया (पापा रेलवे में सेक्शन इन्जिनियर हैं) और 15 सितम्बर को इन्जिनियर्स सप्ताह की क्लोसिन्ग पर “पर्दे में रहने दो” सोन्ग पर डान्स किया। मज़ेदार रहा। पर कुछ भी हो… पढ़ाई के बिना ज़िन्दगी में मज़ा नहीं आता।
नवम्बर में पीएचडी के एन्ट्रेन्स एक्ज़ाम होने की सम्भावना है। आजकल इसीलिये पढ़ाई कर रही हूँ… मुझे रात में पढ़ना पसन्द है। मेरे लिये दुआ ज़रुर कीजियेगा… आप तो जानते हैं ना कि मुझे ‘पढ़ाई के बिना ज़िन्दगी में मज़ा नहीं आता।’
29 सितम्बर को मैं सत्रह साल की हो गयी। मेरा ये बर्थडे अब तक का मेरा सबसे अच्छा बर्थडे था… दोस्तों की शुभकामनायें तो रात 12 बजे से ही आनी शुरु हो गयीं थीं।
सुबह सबसे पहले मम्मी पापा और रवि ने विश किया, उसके बाद मैं कोलेज चली गयी थी। लौट कर कम्प्यूटर खोला तो देखा कि आप सब लोगों ने कितना सारा प्यार यहाँ बरसा रखा है (भीग गयी थी मैं तो!)… मुझे बहुत अच्छा लगा! Thank you sooooo much ! शाम को मम्मी पापा रवि और मैं “स्वाद री ढाणी” गये थे… खूब मज़े उड़ाए…
हालांकि कुछ फ़्रेन्ड्स ऐसे भी थे जिन्होंने अगली रात की 12 बजने से कुछ सेकन्ड पहले तक इन्तज़ार करवा के मेरे धैर्य की परीक्षा ली, सबसे ‘लेटेस्ट’ विश करना चाहते थे मुझे! (मैं सच में दुखी हो गयी थी), पर मज़ा बहुत आया… सबने याद रखा और सबने विश किया। और बिलेटेड विशेस के तो क्या कहने !
पर अब मस्ती बहुत हो चुकी… अब कोई सिर्फ़ डिक्शनरी पर बैठकर तो स्पेलिन्ग्स सीख नहीं सकता… मैं पीएचडी करके पढ़ाई खत्म कर लेना चाहती हूँ, इसके बाद 19 साल की होने के बाद NET का एक्ज़ाम और 21 साल की होने के बाद IAS देना है।
‘अजी, तो क्या बर्बाद करने के लिये है ?’
बस इसीलिये कुछ न कुछ करती रह्ती हूँ…
और हाँ, बापू का बर्थ डे मुबारक हो!
कविता अच्छी लगी.. अख़बार में ऐसे ही खबरें होती है आप ने उन खबरों पर इतनी सुंदर भाव प्रकट किया
ReplyDeleteमुझे बहुत अच्छी लगी आपकी रचना..
धन्यवाद!!!
पन्ने फाड़ दिए जाते यदि दुख
ReplyDeleteयंत्रणा और विषाद के
तो कैसे आनंद लेते आनंद का
सुख का, अच्छे का
कैसे कर पाते तुलना
अच्छे और बुरे में
सिर्फ अच्छा ही अच्छा होता रहे
चाहता है मन यही
पर सच यह भी है कि
बहुतों का सुख
दूसरों के दुख में निहित होता है
उनका क्या होता मेरी नन्हीं बिटिया ?
बहुत अच्छा, सुन्दर अभिव्यक्ति लगे रहो ।
ReplyDeleteस्केच ,कविता और लेख सब बहुत अच्छे लगे। कविता तुम्हारी स्ंवेदनशीलता की कहानी कहती है और लेख खिलंदड़े स्वभाव की। जन्मदिन की एक बार फ़िर से बधाई। डांस और स्पीच रिकार्ड की हो तो पोस्ट करना। अलार्म मत बजने दिया करो बार-बार। समय के साथ तुम्हारी सारी तमन्नायें पूरी हों।
ReplyDeleteतुम्हारा इंटरव्यू पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteहम तो खुशी से फूले नहीं समा रहे आपके बारे में पढ़कर, ऐसे ऐसे तेज लोग हैं हमारे आस-पास ? विश्वास नहीं हो रहा !
ReplyDeleteGreat Poem ..!
ReplyDeleteI was surprised to see the way you are frowing with your writing skills..!
Keep it up .. You know i am feeling proud to have a friend like u ..!
काश जला सकती फ़ाड़ के, इस भयानक पन्ने को
ReplyDeleteअपने देश की किस्मत की किताब से
मिटा देती खौफ़,
बेबस बुजुर्गों, सहमे बच्चों
और डरी हुई औरतों के नसीब से
नहीं लग रहा है मन उसका
पढ़ लिया है कुछ बुरा उसने,
अखबार में जब से…
अच्छी भावाभिव्यक्ति
व्यथा समझी जा सकती है।
स्केच भी सराहनीय हैं।
कुछ ना कुछ करते रहना चाहिए किन्तु एलार्म बजते रहना ठीक नहीं है। :-)
बी एस पाबला
बहुत ही बढिया.
ReplyDeleteतुम्हारा M Sc के बारे में लिखना और उम्र १७ वर्ष लिखना मेरे गणित को गडबडा गया. मगर बाद में पता चला.
ईश्वर से प्रार्थना है, कि तुम बहुत दूर जाओ,तुम्हारे सपने सच हों.
JANAM DIL KI MUBAARAK .....ACHEE RACHNA HAI ... AISE HI LIKHTE PADHTE RAHO ..
ReplyDelete२९ तारीख पर जन्मदिन की शुभकामनायें।
ReplyDeleteअजमेर में एम्.एस.सी के दिन याद आ गए.बहुत सुंदर कविता और आलेख .बधाई
ReplyDeletebahut khoob Rashmi..achcha blog hai aur kavita bhi--tumhari banayi tasveeren bhi..sab kuchh achchha lgaa..
ReplyDeletekaun si kaksha mein padhti ho?
blog par sabhi tasveeren bahut sundar hain..
tumhen to bahut sare inaam bhi mile hain--waah!
aise hi aage badhtee raho...
shubhkamanyen hain..
[janamdin ki [der se sahi] dher sari shbhkamanyen ]
bahut khub ...behad bhavnatmak kavita ...dil me utar gayi ...
ReplyDeleteaapka swagat rahega hamare blog per
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
सुंदर व्यंजनाएं।
ReplyDeleteदीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
आप ब्लॉग जगत में महादेवी सा यश पाएं।
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आइए हम पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।
सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
ReplyDeleteजीवन प्रकाश से आलोकित हो !
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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क्रियेटिव मंच
नन्हीं लेखिका रश्मि,
ReplyDeleteयुद्ध पर आपकी कविता काफी सम्वेदनशील है और सम्वेदना ही एक कवि की पूँजी होती है. स्वास्थ्य अच्छ रहे, ऐसी कामना है . वैसे बहुत सारी सावधानियों के साथ लापरवाही का भी अपना स्वाद होता है.
samchar patro me to har khbar chapti hai chh he wo acchi ho ya buri,
ReplyDeletejesa ki aapne kaha ki ankhen band kar lene se kuch nhi badal shkta , dekha jaye to wo bat 16 aane sach hai. lekin kiya hum sab mil kar in ssabko badl nhi shkate?
iska jawab yaha dena thik nhi kabhi on line aaogi tab dunga. fir jah aapko uchit lage usko waha post kar dena, yaha jaha aap kahe waha hum kuhd post kar denge
apki kavita bauht hi acchi lagi
ReplyDeletedhero suhbkmnyae
hume pata hi nhi tha ki aapka birthday 29 sep ko aata hai warna tabhi wish kar dete. koi baat nhi hume aaj pata chla hai to hum aaj hi aapko birthday wish karte hai.
ReplyDeletehappy birthday to u dear
bahut taraki karo or apne maa papa ke sath ish desh ka bhi kuhb man badhao.
ones again happy birthday to u
bilated happy birthday young poet,very good effort,tallented-congratulation.may god's grace be with youin your life.
ReplyDeletebahut badiya lga aapka ye post,
ReplyDeletebdhaai ho aapko inti sundar rachna ke liye...
यूँ सहम-सहम कर ही हमने जीने की आदत डाली है....
ReplyDeleteसत्ता के आगे हो बेबस लुटने की आदत डाली है.....!
नर हो पशु की भाँती जीवन जीकर भी क्या पाया हमने,
घुट कर मरने को ही प्रभु ने, क्या,यह जान बदन में डाली है.........?
है असमंजस में युवा-शक्ति फिर तो यह क्या कर पाएगी,
क्या भ्रष्ट समष्टि से उठकर चेतन व्यष्टि रच पाएगी.......!
यदि नही अभी भी चेतनता युव-युग दृष्टि रच पाती है,
हो तेजहीन ,आसन्न अंत से यह कैसे बच पाएगी....?
http://ts.samwaad.com/2009/12/56.html
ReplyDeleteis link par tumhaare VIJETA hone ki soochana hai.
ईश्वर आप को तरक्की दे
ReplyDeletenice
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteइस सुन्दर रचना के लिए बहुत -बहुत आभार
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं
नन्ही बड़ी लेखिका, आजकल है कहाँ?
ReplyDeleteजाओ बीते वर्ष
नए वर्ष की नई सुबह में
महके हृदय तुम्हारा!
मधु-मुस्कान खिलानेवाली शुभकामनाएँ!
संपादक : "सरस पायस"
क्या आप सांइस ब्लॉगस असोसिएशन से जुडना चाहेंगी?
ReplyDelete--------
बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है?
क्या सुरक्षा के लिए इज्जत को तार तार करना जरूरी है?
अभी से ऐसी सोच और विचार उज्जवल भविष्य की और इशारा करते हैं, दुआ और शुभकामनाएं "नन्ही लेखिका"
ReplyDeleteHey rashmi .... Really I'm feeling very proud .....Congrates you for your success..... Itni kam umra aur bade kamaal.....aapke liye to bas dua hi nikal sakti hai dil se " God bless you"
ReplyDeletebahut achha laga aap ka blog aaj hi padha ab humesha padhte rahenge
ReplyDeleteआज अचानक तुम्हारी याद आई तो तुम्हारा ब्लॉग देखने आ गई देखा एक पोस्ट जो मैने नही पढ़ी और उसे भी लिखे जमाने हो गये....!!!
ReplyDeleteअब तो तुम्हारी पीएच०डी शुरु हो गई होगी...!!
शुभाशीष तुम्हे....!
bahut prabhavi blog hai tumhara ..aur tumhari jindadili hum sabke liye misaal hai...aur sketches bhi bahut acche..gud luck to you.. :)
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ब्लॉग बनया हैं स्केच भी गज़ब के हैं ....... नन्ही लेखिका अब बड़ी हो गयी हैं क्या?
ReplyDeletekya baat h madam ji, bhut acha laga pad k or last me jo aap ka likha vo mujhe bhut pasand aaya, aapne khud ki baato ko ache se explain kiya h.good keep it up.
ReplyDeleteor ha sketche bhut ache bnati ho.
ReplyDeleteरश्मि,
ReplyDeleteआज पहली बार आया इस ब्लॉग पर... आपका प्रोफाइल पढ़ा पहले तो जाना कि आपकी कामयाबियां कमाल कि हैं और उसपर यह रचनाशीलता... बधाईयाँ... ब्लॉग की सजावट आकर्षक और असाधारण है...
बहुत अच्छा लिखती हो और विचारों की धार पैनी है...
आप तो बहुत अच्छा लिखती हैं...
ReplyDelete_________________
'पाखी की दुनिया' में 'सपने में आई परी' !!
बहुत सुंदर भाव
ReplyDeletebadhai aap ko is ke liye
नन्ही लेखिका....
ReplyDeleteआज पहली बार इस ब्लॉग पर आई हूँ....तुम्हारा लेखन अच्छा लगा...संवेदनाओं से भरा...यूँ ही लिखती रहो...तुम्हारे प्रोफाइल ने भी प्रभावित किया....शुभकामनायें
लेखनी उम्र की मोहताज़ नहीं होती रश्मि..
ReplyDeleteबेहतरीन लिखा आपने..बधाई.
ReplyDelete_________________________
अब ''बाल-दुनिया'' पर भी बच्चों की बातें, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ, उनके ब्लॉगों की बातें , बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ और भी बहुत कुछ....आपकी भी रचनाओं का स्वागत है.
रश्मि!
ReplyDeleteबहुत सुखद रहा अचानक तुम्हारा लिंक देखना मनीष के ब्लॉग पर और फिर यहाँ आना। तुम्हारे लेखन की तारीफ़ या कमी निकालना तो बाद में होगा - अभी तो मेरी बधाई ले लो - अपने स्केच के लिए भी और अपनी उपलब्धियों के लिए भी।
तुम्हारी प्रोफ़ाइल पढ़ी - तुम्हारे भाई के बारे में जानकर कसक सी उठी। अगर आशीष और दुआओं से कोई फ़ायदा हो सकता हो - तो यक़ीनन होगा उसे -क्योंकि मैं पूरे दिल से उसे स्वास्थ्य-लाभ की दुआ देता हूँ।
बाक़ी जो ऊपरवाले के हाथ में है वो रहे - हम लोगों के हाथ में यह तो है ही कि उसको हम कितनी सहिष्णुता से, सहनशीलता और धैर्य से लेते हैं और अपने दायित्व कितने अच्छे से निभाते हैं उनके प्रति जो किसी कारण से पूरी तरह सक्षम नहीं हैं।
तुम्हें आगे भी बड़ी-बड़ी उपलब्धियों के लिए आशीष, और यह दुआ कि हर बड़प्पन की ओर बढ़ते क़दम के साथ ईश्वर तुम्हें बड़े होने की सारी तौफ़ीक अता करे, दिल से रहमदिल और दूसरों के लिए उदाहरणीय व्यक्तित्व का मालिक बनाए।
अस्तु,
बुरा तो सचमुच बुरा लगता है।
ReplyDelete................
नाग बाबा का कारनामा।
व्यायाम और सेक्स का आपसी सम्बंध?
रश्मि
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र बनाए हैं और लिखती भी बहुत अच्छा हो ..............दुआ है तुम बहुत आगे तक जाओ..........