लेकिन उसी में रहते मुझे प्यार करने वाले हैं
इसीलिये मेरी ज़ुबां पर पड़ गये ताले हैं
मेरी अकल है घुटनों से ज़्यादा नहीं जिनके लिये
इन्हीं के साथ रहते मुझे पलकों पर बिठाने वाले हैं
इसीलिये मेरी ज़ुबां पर पड़ गये ताले हैं
हर नज़र से जहाँ खतरे का अहसास होता है
इन्हीं के बीच रहते मेरे रखवाले हैं
इसीलिये मेरी ज़ुबां पर पड़ गये ताले हैं
दिलकशी है जिनके लिये सजाने की एक चीज़ महज़
इन्हीं के बीच कहीं जिस्म से पहले रूह देखने वाले हैं
इसीलिये मेरी ज़ुबां पर पड़ गये ताले हैं
दिल पाता है अपमान और ठोकरें ही जहाँ
यहीं रहते मुझे हर हाल में अपनाने वाले हैं
इसीलिये मेरी ज़ुबां पर पड़ गये ताले हैं
मेरी बहनों को सताने वाले हैं
पर मेरी तो ज़ुबाँ पर पड़ गये ताले हैं
इसी दुनिया में रहते हुए, बोलते इसी के खिलाफ़
मेरी ज़ुबां पर पड़ते छाले हैं
इसीलिये मेरी ज़ुबां पर पड़ गये ताले हैं
.
ReplyDeleteप्रिय रश्मि जी
ये दुनिया है लगती अभिमानी और मतलबी सी
लेकिन उसी में रहते मुझे प्यार करने वाले हैं
अवश्य ही सकारात्मक सोच पर आधारित है पूरी रचना …
मन की संतुष्टि के लिए भी संसार में बहुत कुछ होता है …
नन्ही लेखिका अब लेखिका बन चुकी है … और एक दिन पूर्ण परिपक्व लेखिका भी बनेगी !
:)
बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं !
# और हां शस्वरं
को अपनी दोस्ती से नवाज़ने के लिए शुक्रिया !
♥ हार्दिक शुभकामनाओं सहित ♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर ...गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकाफी कुछ कह दिया जुबां पर ताला लगाए हुए भी ..अच्छी प्रस्तुति ...
ReplyDeletebahut khoob likhti raho
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति
ReplyDelete♥
ReplyDeleteआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
यह भी है वह भी है
ReplyDeleteदुनिया में प्यार है
तो जिरह भी है
बहुत खूबसूरत भावमय रचना
कल 07/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
भावमयी रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति...
ReplyDeleteइन्हीं मेरे बहुत अपनों में मिल गये
ReplyDeleteमेरी बहनों को सताने वाले हैं
पर मेरी तो ज़ुबाँ पर पड़ गये ताले हैं
इसी दुनिया में रहते हुए, बोलते इसी के खिलाफ़
मेरी ज़ुबां पर पड़ते छाले हैं
इसीलिये मेरी ज़ुबां पर पड़ गये ताले हैं..
रश्मि जी बहुत सुन्दर ..सब कुछ मिलता है इस जग में ...अपनापन और बेगानापन भी ..लेकिन खामोश हर हाल में नहीं रहना आवाज उठाना है दूसरों के लिए भी ..नहीं जीना है केवल अपने लिए ...
जय श्री राधे
भ्रमर ५
अच्छी प्रस्तुति ..badhayi ho lekhika :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारकर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें.