सुनो, सपनों के राजकुमार
तुम्हारे सिवा किसी से ना चाहा प्यार
चुप सह लिया इसीलिये मन पर हर वार
और मांगा तुम्हें, चाहा तुम्हें
पहले से ज़्यादा हर बार
अब सोचती हूँ,
क्या उठा पाओगे तुम
मेरी अपेक्षाओं का भार
जब मिलोगे आखिरकार
मुझसे पहली पहली बार
मैं तो रूप बदलती हूँ
तुम साथ दे सकोगे?
तल्लीनता से बहती नदी
या मोहक फ़ूलों भरी डगर
बन सकोगे सागर प्यास बुझाने वाले
या दूजे ही पल प्यासे इक भ्रमर?
हो जाऊँ कभी जो आत्मलीन
हो जाये मेरा दर्शन गहन
जो ना समझो, उपहास ना करना
कभी बन जाये बहुत हठी मन,
सच लगे जो दिखलाए दरपन
समझाने का प्रयास ना करना
माहिर हूँ अकेले चलने में
ठोकर खाकर फ़िर सम्भलने में
खुद रचा है मैंने ये संसार
है ये मेरी रियासत, मेरा महल
इसीलिये खीझ उठूँगी मैं
जब जब तुम दोगे दखल
लेकिन बखूबी आता है तुम्हें
प्यार करना, खयाल करना
हाथ थामकर आगे चलना
इस आराम, इस सुख की खातिर
चाहूँगी मैं कभी कभी, पीछे चलना
सब मेरा हो, मैं तुम्हारी हो जाऊँ
फ़िक्र करना तुम, मैं कहीं खो ना जाउँ
माना, ज़रूरतों से पहले
बदलती हैं मेरी ख्वाहिशें
पर मेरे सपनों में
तुम भी रंग रूप बदलते हो
हर तरह से चाहती हूँ मैं तुम्हें
हर रूप में तुम मुझ पर मरते हो
तुम्हारी प्रेरणा तुम्हारी हमसफ़र
करती हूँ परवाह भी हर पहर
लेकिन साथ तुम्हारे होते भी
रह ना जाऊँ अकेली ये सोचकर
कभी कभी मैं जाती हूँ डर
खैर, तुम हो सपनों के राजकुमार,
सपने होते हैं हसीं
अगर सच में मिलें हम,
बहुत ही सुंदर सरल रचना ...खूबसूरत भाव
ReplyDeleteखूबसूरत भावों को समेटे अच्छी रचना
ReplyDeleteBahut Sunder rachna...
ReplyDeleteAjkal Kahan hain aap...?
ReplyDeletevery good
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteसादर
बहुत ही सरल शब्दो मेँ सुंदर रचना । आभार
ReplyDeleteशब्द और भाव का अद्भुत संगम है आपकी रचना में...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
Bahut khub,ab itni achhi rachna padhke to bas itna kahunga,bas mil jaye hamari lekhika ko unka rajkumar! Likhte rahiye.
ReplyDeleteमाहिर हूँ अकेले चलने में
ReplyDeleteठोकर खाकर फ़िर सम्भलने में!
Bahut achcha likhti hain aap, aur aapki introduction bhi bahut prabhaawit karti hai. Dheron shubhkaamnayen!
बहती नदीया मोहक फ़ूलों भरी डगरबन सकोगे सागर प्यास बुझाने वालेया दूजे ही पल प्यासे इक भ्रमर?
ReplyDelete....वाह क्या बात है,बहुत खूब.
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ
ReplyDeleteकविता के भाव बहुत कोमल हैं.....रश्मी
Behtareen Likhti hain aap ...Bahut sundar bhav.
ReplyDeleteLife is Just a Life
My Clicks
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काफी गहरे उतर गयी हो आप तो.. बेशक उम्र का असर है.. लेकिन सपनों का राजकुमार इतनी गूढ़ बातें सुन कर भाग तो नहीं जायेगा न!! :)
ReplyDeleteकाफी अच्छा लिखा है..और अन्त में जो प्रश्न छोड़ दिया है.. उसे पढ़ कर राजकुमार साहेब टुकुर टुकुर इधर उधर देखने लगेंगे..
Rashmi,
ReplyDeleteye itni pyari kavitaye kidhar se lati ho.
बहुत सुन्दर भाव समेटे सुन्दर प्रस्तुति ....
ReplyDeleteसुन्दर एहसास....
ReplyDeleteप्यारी अभिव्यक्ति....
अनु
हो जाऊँ कभी जो आत्मलीन
ReplyDeleteहो जाये मेरा दर्शन गहन
जो ना समझो, उपहास ना करना
कभी बन जाये बहुत हठी मन,
सच लगे जो दिखलाए दरपन
समझाने का प्रयास ना करना ... आत्मविश्वास का उपहास कैसा !
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ReplyDeletenice crtn
ReplyDeletebahut achha likhti hai ..badhai ho
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव समेटे सुन्दर प्रस्तुति ....
ReplyDeleteआज पहली बार आप के ब्लॉग पर में आया आप का ब्लॉग बहुत अच्छा लगा. आभार
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन में शामिल किया गया है... धन्यवाद....
ReplyDeleteसोमवार बुलेटिन